” गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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जीवन में हादसा होते ही रहते हैं ! हादसा ,दुर्घटना ,व्यथा और अनहोनी का शिकार एक ना एक दिन हर व्यक्ति के हिस्से में आते रहते हैं और हर दौर में ये पीड़ादायक सिद्ध होते हैं ! कौन जनता था कि मेरे साथ भी कोई खास किस्म की दुर्घटना होने वाली है ! हर शाम 5 बजे मैं अपने घर से अपनी पत्नी आशा को अधिकांशतः अपने बाइक से दूध लेने जाता हूँ ! कभी- कभी मौसम खराब रहता है तो मैं उन्हें अपनी कार से ले जाता हूँ ! 21 जुलाई 2024 के दिन बरसात का मौसम छाया हुआ था ! पर बारिश नहीं हो रही थी ! दूध लेकर वापस आते- आते बारिश की बूंदें पड़ने लगीं ! आशा ने उतर कर सामने का बड़ा गेट खोला ! मैंने भी शीघ्रता की और आँगन में दाखिल हो गया ! आँगन भिंगा हुआ था ! बारिश की बूंदें तेज हो गई थीं ! वैसे इस बरसात के मौसम में आँगन में काइयाँ जम गयीं थीं ! फिसलन बनी हुयी थी ! पर हादसा के पहले ये सारी कमियाँ नज़र के सामने कभी आके आगाह नहीं करती वरना लोग दुर्घटना से बच ही सकते हैं ! लोग जल्दी में सावधानी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं ! जैसे ही मैंने दाहिना मोड़के कार पार्क में जाने की कोशिश की वैसे ही मैं स्किड कर गया ! दाहिना पाँव के ऊपर बाइक “स्पेनडर” गिर गया ! मैं जमीन पर बेतहाशा गिर पड़ा ! मेरी क्या चीख निकलेगी ! आशा चिल्ला पड़ी ,–
“बाप रे बाप इ की भ गेलय ? हे भगवान आब की करब ?”
बाइक को वह उठा नहीं सकी !
वो रोने लगी और बाहर निकलकर चिल्लाने लगी ,–
“ कोई है ?……कोई है ?”
मेरे तो होश ही उड़ गए थे ! दो मिनट के बाद जरा होश आया तो मैं दर्द से कराह रहा था ! बिडम्बना तो देखिये मेरा बाएँ पैर का पी टी शू भी कहीं फँस गया था ! मैं तो किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया था
आशा फिर रोती बिलखती मैन गेट के बाहर निकाल कर आवाज लगाई ! रोड के उस किनारे संथाल परिवार रहते हैं ! दो महिलाएं निकलीं और पूछा ,—–
“ आंटी क्या हुआ ?”
“ देखो न तुम्हारे अंकल गिर पड़े हैं ! बाइक के नीचे दबे फँसे हैं !”
वे लोग दौड़ कर आए और सब मिलकर बाइक खिसकाकर मुझे निकाला!
73 सालों में मुझे यह झटका ? बरदास्त के काबिल नहीं था ! मेरे दाहिना पैर की एढ़ी से घुटने तक फूल गया था ! भिंगते हुये आँगन में सब ने मिलकर मुझे उठाया ! मैं दर्द से कराह रहा था ! मुझे सहारा देकर मुझको पलंग पर लोगों ने लेटाया ! मेरे हाथ,पैर और सारा शरीर काँप रहा था !
किसी ने कहा ,—-” घुटना ,एढ़ी, पंजा और पैर की हड्डी अवश्य टूटी होगी ! एक्सरे करबा लें ! देखिये डॉक्टर क्या कहता है ?”
कुछ देर के बाद सब चले गए ! रह गए हम दो ! दुमका में अब हम दो ही लोग रहते हैं ! लड़की दिल्ली में रहती है ! बड़ा लड़का बंगलुरु में काम करता है ! छोटा लड़का गत तीन सालों से अमेरिका के मडीसीओन में रहता है !
चलना , लेटना ,बाथरूम जाना इत्यादि सारे कार्य बाधित हो गए ! पहले मुझे भी चिंता सताने लगी कि हो ना हो कहीं ना कहीं फ्रेक्चर जरूर हुआ होगा ! परंतु पैर का फ्रेक्चर चाहे हल्का से हल्का हो जमीन पर पैर रख नहीं सकते हैं ! भगवान का लाख -लाख आभार व्यक्त करूंगा कि मेरे गुरुदेव का आशीर्वाद सदैव मेरे ऊपर था कि मैं बाल -बाल बच गया ! उस दिन गुरु पुर्णिमा ही था ! मेरी पैर की उँगलियाँ हिल डूल रहीं थीं ! पंजे की मोबिलिटी प्रर्याप्त थी ! मुझे अनुमान लग गया कि कोई फ्रेक्चर नहीं है ! सिर्फ वजन गिरने से जमके चोट लगी है ! एक बात और आश्चर्य की हुई कि जलते हुये साइलेंसर से मेरा पैर बिलकुल ही बच गया ! शायद बारिश के वजह से साइलेंसर ठंडा पड़ गया था अन्यथा मेरा पैर अवश्य जल जाता !
दूसरे दिन व्हात्सप्प के माध्यम से अपने बच्चों को सविस्तार सूचना दे दी और उन्हें कह भी दिया ,–” घबड़ाने की कोई बात नहीं है ! थोड़ी चोट लगी है ! मुझे पता है कोई फ्रेक्चर या टूट -फूट हड्डी की नहीं हुई है ! माँ आपकी हॉट फ़ोमनटेशन कर देती है और मूव लगा देती है ! मैं क्रेप बैंडज बांध लेता हूँ ! आप लोग चिंतित ना हों !”
आभा का फोन दिल्ली से आ गया ! बड़े बेटे राजीव का बंगलुरु से फोन आ गया ! संजीव मेरा छोटा बेटा आजकल अमेरिका में कार्यरत है ! मेरे ना बोलने के बावजूद भी 6 दिनों के बाद दुमका आ गया ! 15 दिनों तक रहा और मेरे ठीक होने के बाद फिर वापस अमेरिका चला गया ! आज मैं पूर्णत: ठीक हो गया हूँ ! वैसे 6 सप्ताह लगे ! अब फिर गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से !
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
03 सितम्बर 2024