गांव
अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
कूलर-फ्रिज़ की याद न आई!!
दिनचर्या कुछ ऐसी भाई,
जीवन मे छाई अरुणाई !! अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
कोयल की जब दी कूक सुनाई,
तज खटिया,मस्तक धूरि लगाई!!अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
भईया ने दातुन नीम थमाई!
भौजी दौड लोटा पानी लाई!!अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
कक्का ने कसरत करवाई !
काकी नौनी छाछ ले आई!! अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
दोपहर पीपल नीचे खाट बिछाई!
ठंडी-ठंडी हवा चली पुरवाई!!अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
गाय चराते,आम चुराते साझ हो आई!
घर पहुचे तो चूल्हे की रोटी पाई,!!अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
नदिया पार सूर्य ले रहा बिदाई!
शान्त मनोरम दृश्य देय दिखाई!!अबकी गर्मी गँ|व बिताई!
सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया,एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं,फेस-2,सिकंदरा,आगरा-282007
मो;9412443093