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25 Jul 2020 · 2 min read

क्रिकेट का खेल और छींटाकशी

डाक बंगला मैदान में क्रिकेट का मैच चल रहा था। दूसरे शहर से टीम आई हुई थी। 25 ओवर्स का मैच था। हमारी टीम ने अच्छे खासे रन बना लिए थे। 20 ओवर्स के बाद करीब 145 रन बन चुके थे।

जब छटा बल्लेबाज़ आउट होकर गया, तो बारी अब एक दुबले पतले बल्लेबाज़ भ्रमर की थी जो खेल से ज्यादा अपनी हाज़िर जवाबी और विनोदी स्वभाव के लिए मशहूर था। मैदान में उतरते वक़्त किसी दर्शक ने कह दिया, भ्रमर दा आज आपसे दो छक्के चाहिए।

भ्रमर अपनी आदत के अनुसार पतली सी कलाई दिखाकर बोला,
भाई, रिस्ट देखकर बात करो। बल्ले का हैंडल भी इससे मोटा होगा।
हमलोगों को हंसा कर, वो मुस्कुराता हुआ पिच की ओर बढ़ गया।
जाते ही विकेटकीपर को बोला, तुम्हारे बॉलर को बोल दो आज उसको दो छक्के लगाऊंगा।

फिर स्लिप के रक्षक को देखकर बोला , तीसरी स्लिप भी लगा दो नहीं तो मेरा कट रोक नहीं पाओगे।

विपक्षी टीम हैरान, ये कौन आ गया। उसने एक छक्का तो लगा दिया और १५-२० रन भी बना दिये। ये पहली बार था कि कोई बल्लेबाज़ इतनी बातें कर के परेशान कर रहा था।

खैर हमारे अच्छे खासे रन बन गए थे।

जब विपक्षी टीम बैटिंग करने आई तो भी उसका बिना रुके कुछ न कुछ बोलना जारी था।

उनका चौथा बल्लेबाज़ क्रीज़ पर आया। हमारे बॉलर ने दो तीन बाउंसर डाल दिये। बल्लेबाज़ थोड़ा परेशान दिखा।

फिर जब अगला ओवर शुरू होने वाला था।

तो वह बल्लेबाज़ के पास गया, बोला एक बात बोलूं, बुरा तो नही मानोगे, ये जो बॉलर अभी गेंद डालेगा ये पहले वाले से भी ज्यादा तेज है, क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहे हो?

” जिंदा रहोगे तो मूंगफली बेच कर भी कमा खा लोगे”

अगली गेंद पर बल्लेबाज़ क्लीन बोल्ड हो गया।

बल्लेबाज़ के लौटते वक्त वो बोला ” शाबाश, समझदारी दिखाई तुमने, जाओ पेड़ के नीचे बैठो मैं अभी तुम्हारे लिए चाय भिजवाता हूँ।

बल्लेबाज़ उसको घूरता हुआ चला गया।

फिर हमारे स्कोरर को देखकर बोला, ये विकेट मेरा था।

खुद बिंदास रहकर खेल में दूसरों पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाने में उसका कोई जवाब नही था।

कुछ लोग एक अलग ही किस्म के होते हैं।

अपनी दुबली पतली कद काठी को उसने कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

मैं सोच रहा था कि चलो मैच तो हम जीत ही गये,

साथ साथ ये भी सोच रहा था कि उसकी की खुद से आये दिन चलती इस लड़ाई में जीतना उसके लिए भी हर बार, हर कीमत पर जरूरी हो गया था।

फिर केवल जीत ही जरूरी रह जाती है!!!

एक दिन उसके घर पहुंचा, तो देखा मोटरसायकिल की पेट्रोल की टंकी का ढक्कन खोल कर उसमें नाक घुसाये बैठा था, पूछने से बताया, पेट्रोल की गंध से उसे ऊर्जा मिलती है।

वो अपने इंजिन को भी उस गंध से भर रहा था।

पेट्रोल का ये उपयोग मेरे लिए बिल्कुल नया था!!!

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 278 Views
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