“गाँव”
“गाँव”
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गाँव को ही, ग्राम भी कहते,
ग्रामीण, गाॅंव में ही तो रहते।
रहता यहां , खूब हरियाली;
दिखे , पहले पूरब में लाली;
हवा यहां, स्वच्छ- मतवाली।
मिलते यहां, खेत- खलिहान,
चले सब, खुद सीना -तान।
यहीं मिलता, पेड़ों की छांव
,
नदियों में भी चलता , नाव;
अच्छा लगे, अपना ही गॉंव।
माटी होती यहां, खुशबूदार;
लोग करते, आपस में प्यार।
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………✍️प्रांजल
……….कटिहार।।