गाँव की शामें
गाँव की शामें
झोंपड़ीनुमा आकृतियाँ
मोनू के घर की
शान्त वातावरण
गऊ, भैंस गाछी से
चरके लौटती घर को
ढ़लान से आती वो
बथान को
बगल में नीम का पेड़
लम्बे-लम्बे, ऊंचे-ऊंचे
सामने तालाब के पानी
बतख तैर रहे
मुन्नी मटका लिए
पानी के
भोजन बनाने जाते
घर को।
किसी के घर से
उठती ऊपर नभ ओर
चूल्हे के धूँआ
आकृति बनाती विशेष
खुसबू आती घर से
लिट्टी-पकौड़े की।
पक्षियों की चहचहाहट
झूंड में जाती झूम झूमके
अपने घोंसले की ओर
लौटती आम के पेड़ पे
लहराती इसके पत्ते पत्तियाँ
निकलती इसकी ध्वनियाँ
मधुरम् करती मदहोश।
सूरज की पश्चिम में
डूबती लाल लालिमा
केसर सी, चन्दन सी
व्योम में बनाती
अर्धगोलाकार
क्षितिज में
इंद्रधनुषीय सप्तरंग
निशा की अन्धेरे लपटें
बिखरती चहुंओर।