गाँधी व शास्त्री की इच्छा
गाँधी व शास्त्री की आत्मा
पुकारती परमात्मा
भारत बने धर्मात्मा
उपाय बताइए।
सत्ता मद बहुत है
बातें ज्यादा करत है
सलाह न मानत है
सलाह बताइए।
कानून का भय नहीं
गुंडागर्दी हर कहीं
झूठ बोल कहें सहीं
आप समझाइए।
जो किया बेकार गया
धोका कर मार दिया
एक जन्म कोरा गया
फिर पहुँचाइए।
ऊँचनीच छूआछूत
मुँह देखी है भभूत
बेईमान राज दूत
मौका एक दीजिए।
नारी की लुटती लाज
भ्रष्ट हुआ राज काज
दिखावटी बना साज
आज्ञा हमें दीजिए।
सत्ता में बैठे दलाल
पीले काले हरे लाल
खाते पीते मालामाल
देश को बचाइए।
इच्छा है हमारी नेक
फिर जन्म पावे एक
आजादी की रच टेक
वापिस बुलाइए।
राजेश कुमार कौरव सुमित्र