ईंट खोदकर नींव की, गिरा दिया निज गेह ।
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
*मिठाई को भी विष समझो, अगर अपमान से आई (मुक्तक)*
मेरा जो प्रश्न है उसका जवाब है कि नहीं।
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
रंग मे रंगोली मे गीत मे बोली
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
रखो शीशे की तरह दिल साफ़….ताकी
जीवनसंगिनी सी साथी ( शीर्षक)
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर