ग़ज़ल
मुहब्बत की हंसीं दुनिया में जाना छोड़ देंगें हम
बिना शिकवा किए रिश्ते निभाना छोड़ देंगें हम
हमारा साथ देने का अगर वादा करो हमसे
तुम्हारी एक ही हाँ पर जमाना छोड़ देंगें हम
चलो अब लौट भी आओ कि यूँ रूठा नहीं करते
हमारी है कसम तुमको सताना
छोड़ देंगें हम
हमारी चाहतों का गर सिला तुमसे मिला होता
दिवस तन्हा उदासी में बिताना
छोड़ देंगें हम
किसी की बात पर आना कभी अच्छा नहीं होता
हमें तुमसे मुहब्बत है जताना
छोड़ देंगें हम
हमारी बात से तुम भी कभी मायूस मत होना
वगरना बेवजह हँसना हँसाना
छोड़ देंगें हम
तुम्हारा नाम जो कट जाएगा इस मुहल्ले से
तुम्हारे साथ था रिश्ता बताना छोड़ देंगें हम
अनिल कुमार निश्छल
शिवनी हमीरपुर
बुंदेलखंड