ग़ज़ल
करो पहचान ख़ुद की तुम सजाओ बाद में सपने
नहीं पूरे कभी होते किसी की दाद में सपने/1
तरीक़ा जोश होना होश देता कामयाबी है
मिले शोहरत सुनो यारों लगें फिर नाद में सपने/2
मुहब्बत आदमी से तो नहीं देखी यहाँ पद से
भरें हैं स्वार्थ के मद में यहाँ उन्माद में सपने/3
हँसाओ तुम किसी रोते हुऐ को देखिएगा फिर
कोई लेता मिलेगा नित तुम्हारी याद में सपने/4
कभी धोखा सिखाता है कभी मौका सिखाता है
वफ़ा हर दौर की देती ज़ुदा बन शाद में सपने/5
नहीं दो दोष छल को तुम सितारा बन चमक जाओ
अँधेरे ख़ुद झुकेंगे ले यहाँ अरदास में सपने/6
कभी शबनम कभी शोला बनो ‘प्रीतम’ सुझाते हैं
लचीलापन हँसाता है अदा कर राद में सपने/7
आर.एस.’प्रीतम’