ग़ज़ल
थोड़ा-थोड़ा-सा काम का हूँ मैं ।
कौन क्या है ये जानता हूँ मैं ?
यूँ नहीं आपसे मेरा रिश़्ता,
आपको दिल से मानता हूँ मैं ।
दूसरों को कभी नहीं देखा,
ख़ुद के भीतर ही झाँकता हूँ मैं ।
डोर माँ ने जो बाँध दी मुझको,
माँ नहीं है मगर बँधा हूँ मैं ।
नाम “ईश्वर” रखा पिताजी ने,
उनके चरणों की वंदना हूँ मैं ।
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।