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8 Jan 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

मुहब्बत ने मुहब्बत से नफ़ासत सीख ली प्रीतम
रहा बाकी नहीं कुछ अब वक़ालत सीख ली प्रीतम/1

हुए भावुक किसी का दर्द देखा जो हिफाज़त में
क़सम से आपने सच में शराफ़त सीख ली प्रीतम/2

भलाई कर सकें इंसान कहलाते वही तो हैं
गिरा लाचार संभाला जो हिक़मत सीख ली प्रीतम/3

कभी लूटा किसी को गर गिराया मान अपना ही
मुसीबत से किया निस्बत अदावत सीख ली प्रीतम/4

बुराई हार जाती है सुना हमने हमेशा ये
भलाई की तभी करनी इबादत सीख ली प्रीतम/5

मिटा दो चोर दिल का तुम करो चाहत भरी बातें
बहारों की चमन से फिर मुहब्बत सीख ली प्रीतम/6

हटा पर्दा बग़ावत का हृदय में प्यार भर ‘प्रीतम’
नज़ाकत से तभी समझो सदाक़त सीख ली ‘प्रीतम’/7

आर.एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- नफ़ासत- सुंदरता, हिक़मत- उत्तम युक्ति, निस्बत- लगाव/संबंध, अदावत- दुश्मनी, इबादत- पूजा, सदाक़त- सच्चाई

Language: Hindi
79 Views
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