ग़ज़ल
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
तेरी ही जीत होगी दिल हमेशा शाद रख लेना/1
सफ़र करना अकेले तय यही हो ज़िंदगी उल्फ़त
बुराई सौ करें अपने लबों पर दाद रख लेना/2
उगाना चाहते तरुवर अगर रिश्तों के सुनलो तुम
मुहब्बत की ज़रा दिल में हमेशा ख़ाद रख लेना/3
सलाहें मान लो मेरी भुलादो या मुझे दिल से
बसा दिल में अभी रखलो या मेरे बाद रख लेना/4
जहाँ होती अदावत है अदालत ही चला करती
मुहब्बत चाहिए तुमको अदा हर साद रख लेना/5
हिदायत मान लो उसकी सही पथ जो दिखाता है
इनायत हो सदा तुमपर परे उन्माद रख लेना/6
सफ़ीना हूँ तुझे मंज़िल दिखाऊँगा मिरे ‘प्रीतम’
इबादत का सलामत से हृदय में नाद रख लेना/7
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- शाद- ख़ुश/आनंदित, उल्फ़त- प्यार, अदावत- शत्रुता, साद- श्रेष्ठ/नेक, अदा- अंदाज़, हिदायत- सलाह, इनायत- कृपा, उन्माद- सनक, सफ़ीना- कश्ती/नाव, इबादत-पूजा, नाद- संगीत/आवाज़