ग़ज़ल
जो दिखता है नहीं सच वो हटा परदा ज़रा देखो
दिखे हालात से खाली वही मानव भरा देखो/1
बघारे शेखियाँ आगे सभी के जो तना घूमे
समय आने पे उसको तुम सभी से खुद डरा देखो/2
जो तूफ़ानों से लड़ता है हरा दे आँधियों को भी
वही तरुवर ज़मीं पर तुम फला-फूला हरा देखो/3
यहाँ झूठे छली कपटी मिलेंगे लोग लाखों पर
तुम्हारा साथ देगा जो वही अपना खरा देखो/4
इशारों में समझ जाए विवेकी है वही मानव
नहीं समझे उसे ग़ाफ़िल अधूरा सिर फिरा देखो/5
बड़ा मासूम सुंदर है लगाया दिल सुनो जिससे
शराबी की गुलाबी लत उसे जानो सुरा देखो /6
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
कभी शक़ हो शिक़ायत हो ख़ुदी को तुम गिरा देखो/7
आर. एस. ‘प्रीतम’