ग़ज़ल
ग़ज़ल
लगे हिंदी हमें प्यारी यही गौरव हमारा है
बड़ी पावन मधुर इतनी कि ज्यों गंगा की धारा है/1
लिए शब्दों में गरिमा है लिए संस्कार किस्सों में
दिखाए रोशनी इतनी लिए सूरज जो तारा है/2
ये वैज्ञानिक बड़ी भाषा नियम इसके सुहाने हैं
पढ़ो वैसा लिखो जैसा यही अद्भुत नज़ारा है/3
लगे हिंदी सजी बिंदी सुशोभित भाल को करती
हमें जोड़े जड़ों से जो यही इसका तो नारा है/4
बड़ी आसान बोलें तो लगे मीठी हमें सुनकर
ये अभिमान भारत का इसे सम्मान प्यारा है/5
विधाएँ देखिए कितनी सभी सुंदर सुहानी हैं
पढ़ो कविता कहानी तुम कहीं नाटक सँवारा है/6
निराला और दिनकर ख़ूब दीवाने थे हिंदी के
बना ‘प्रीतम’ भी दीवाना हृदय हिंदी पे वारा है/7
#आर. एस. ‘प्रीतम’