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9 Sep 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

किये वादे निभाए जो उसे इंसान कहता हूँ
भुला दे वक़्त बदले जब उसे शैतान कहता हूँ//1

ज़रा-सी धूप ही तो बर्फ़ को पिंघला यहाँ देती
करे जो दंभ ख़ुदपर जो उसे अनजान कहता हूँ//2

कहीं तू है कहीं मैं हूँ मगर तन्हा नहीं हैं हम
मैं चंदन हूँ तू खुशबू है भरे मैदान कहता हूँ//3

बना दिल से चला वो ही यहाँ रिश्ता सितारो तक
हवश जिसमें बसी होती उसे अज्ञान कहता हूँ//4

मेरे श्यामा मेरी राधा सदा तक़दीर लिखते हैं
दिया जो भी मुझे अब तक बड़ा सोपान कहता हूँ//5

जवानी की कहानी में मुहब्बत हो गई मुझको
मेरा माशूक़ जिसको मैं तो हिंदुस्तान कहता हूँ//6

सुनाऊँ बात सच्ची मैं करूँ ‘प्रीतम’ इबादत भी
मिटाए दर्द औरों का उसे भगवान कहता हूँ//7

#आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 88 Views
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