#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ हम भीग जाते हैं।।
【प्रणय प्रभात】
– बड़े अंदाज़ से रस्में, मुहब्बत की निभाते हैं।
कभी हम याद करते हैं, कभी वो याद आते हैं।।
– किसी की आँख में आँसू, कभी तारे कभी मोती,
कभी वो झिलमिलाते हैं, कभी वो जगमगाते हैं।।
– कभी भी अनसुनी करना, मगर इतना समझ लेना,
फ़कीरी बोल से बेटा, मुक़द्दर जाग जाते हैं।।
– बदी या नेकियाँ नीयत की, कुदरत भी समझती है,
कभी सब खुश्क होता है, कभी सैलाब आते हैं।।
– जो क़तरे तुम गिराते हो, अजब तासीर रखते हैं,
बिना बारिश क़सम से आपकी हम भीग जाते हैं।।
– कभी भी हार मत जाना, ख़ुदी से या ज़माने से,
जो ख़ुद को जीत लेते हैं, जहां से जीत जाते हैं।।
– उजालों से मुख़ातिब हों, उन्हें ज़ेबा नहीं देता,
अँधेरे थाम के उँगली, जिन्हें चलना सिखाते हैं।।
– उन्हें नादां तवारीखें ही, बतलाती हैं दीवाना,
गुमा देते हैं जो ख़ुद को, ख़ुदा को ढूंढ लाते हैं।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)