कविता : मौन
#विषय : मौन
जब मन विचलित हो जाए, कोई उत्तर समझ न आए।
द्वंद्व हृदय में छा जाए, सिर भी चकराने लग जाए।
मौन साधना कर लेना, ठण्डी आहें कुछ भर लेना।
समाधान मिल जाएगा, संतोष तनिक तुम कर लेना।।
शक्ति भक्ति मौन बढ़ाए, चिंता मन की दूर भगाए।
जीवन खुशहाल बनाए, वरदान एक यह कहलाए।।
शांत मौन करता मन को, विष को भी यह अमृत बनाए।
उपासना इसे समझना, दूर अमंगल भी हो जाए।।
सौ झगड़े मौन मिटाए, विषय वासना दूर भगाए।
क्रोध दंभ लालच हारें, मोह मिटाए राह दिखाए।।
सभी समस्याओं का हल, छिपा इसी में होता प्रीतम।
कभी नहीं होने देता, किसी दर्द से आँखों को नम।।
मौन करो सब सुख पाओ, वाचाल बने हिल जाओगे।
खामोशी जो कह देती, नहीं बोलकर कह पाओगे।।
खुश होकर हर कार्य करो, कार्य सभी तुम अनिवार्य करो।
मौन साधना मत भूलो, दुख सारे अपने आप हरो।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना