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13 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

एक पत्ते ने कहा ,
मै ही सांसो की दवा ।

पाप सब कटते रहे,
दर्द ने जब- जब छुआ ।

एक पत्थर ने कहा,
मुझको भी मूरत बना ।

नीम का वो पेड था,
वैद्य वो सबका बना।

रेशमी रूमाल को ,
कीट ने खाकर बुना।

कुंआ लबालब रहा ,
घड़ो ने कितना लिया ।

वो मुकद्दर था मेरा ,
खोजने पर मिल गया।

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