#ग़ज़ल :–
#ग़ज़ल :–
■ लक़ीर_अपनी_है…..!!
【प्रणय प्रभात】-
■ दर्द अपना है, पीर अपनी है।
हाथ की हर लक़ीर अपनी है।।
★ एक किस्मत वज़ीर,
है उसकी।
एक किस्मत फ़क़ीर,
अपनी है।।
★ लाख किस्से हैं इस
ज़माने में।
एक उन मे नज़ीर,
अपनी है।।
★ ज़िंदगी का त्रिकोण,
यूं समझें।
उसका रांझा है, हीर
अपनी है।।
★ रूह पे सिर्फ़, जिस्म
की चादर।
ज़िंदगानी कबीर
अपनी है।।
★ जिनके इज़हार पे भी पाबंदी।
हर तमन्ना असीर अपनी है।।