ग़ज़ल
साँसों की डोर तो है विधाता के हाथ में
दिल में रखें ज़ुनून हमेशा हों साथ में/1
आता नहीं मज़ा तो मुलाकात का तभी
है झूठ की ग़ुबार मुहब्बत की बात में/2
राहें यदा-यदा जो नयी ताज़गी भरें
हासिल लगें मुक़ाम सभी कायनात में/3
चलते रहो मिसाल तुम्हारी ज़ुदा रहे
ये चाँद का मिजाज़ बताता है रात में/4
अंदाज़ से ज़ुनून लिए ज़िंदगी जियो
विपरीत वक़्त मोड़ चलो तुम हयात में/5
दिन रात यार प्यार में गुज़रे दुवा यही
मैं माँगता हूँ नेक ख़ुदा से जमात में/6
‘प्रीतम’ सभी सलाम मुहब्बत के नाम हैं
है ज़िंदगी अज़ीज़ मुझे इस बिसात में/7
शायर- राधेयश्याम ‘प्रीतम’
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