ग़ज़ल
इश्क़ में क्या ये मो’जिज़ा¹ न हुआ
हिज्र² में भी जो वो जुदा न हुआ
वो बहुत दूर जा चुका है मगर
उसकी यादों से फ़ासला न हुआ
है खड़ा हुस्न-ओ-इश्क़ का सिक्का
आज तक कोई फ़ैसला न हुआ
आप-से आप ही हैं दुनिया में
आप-सा कोई दूसरा न हुआ
शे’र गोई कमाल है ऐसा
सीखने पर भी जो मेरा न हुआ
ऐ ‘सुधा’ ! तेरे इश्क़ में ‘चंदर’
कब ‘गुनाहों का देवता’⁵ न हुआ
जिनसे मिलने की ‘आरज़ू’ थी हमें
उम्र भर उनसे राब्ता⁴ न हुआ
-©अंजुमन ‘आरज़ू’
1 चमत्कार, 2 विरह, 3 धर्मवीर भारती का उपन्यास, जिस की नायिका सुधा और नायक चंदर है, 4 संबंध, मेलजोल ।