Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

ज़माने के लिए तो मर चुका हूँ
सहारा है तिरा सो जी रहा हूँ

मुकम्मल ही समझना फिर मुझे भी
फ़क़त अब क़त्ल होना रह गया हूँ

भुलाने की है ज़िद्द-ओ-जहद जिसको
तुम्हारे इश्क़ का वो सिलसिला हूँ

जिसे अपनी मुहब्बत कह रही हो
वो कोई और है, और मैं दूसरा हूँ

मुहब्बत की नवाज़िश मौत ही है
मुझे मारो, अभी मैं अधमरा हूँ

मुहब्बत का असर मुझ पर नहीं है
यूँ ही पत्थर से मैं सर पीटता हूँ

सज़ा मुझको अता कर तू मुनासिब
ख़ता ये है कि तुझ को चाहता हूँ

“शफ़क़” को खोजने निकला हूँ जबसे
तभी से ख़ुद कहीं पर लापता हूँ

©Sandeep Singh Chouhan “Shafaq”

132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चाहता हूं
चाहता हूं
Er. Sanjay Shrivastava
तमगा
तमगा
Bodhisatva kastooriya
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
बेअदब कलम
बेअदब कलम
AJAY PRASAD
🙅सनातन संस्कृति🙅
🙅सनातन संस्कृति🙅
*Author प्रणय प्रभात*
समस्या का समाधान
समस्या का समाधान
Paras Nath Jha
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sakshi Tripathi
दिल में रह जाते हैं
दिल में रह जाते हैं
Dr fauzia Naseem shad
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गुलाब
गुलाब
Prof Neelam Sangwan
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
लक्ष्मी सिंह
" बस तुम्हें ही सोचूँ "
Pushpraj Anant
2771. *पूर्णिका*
2771. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शार्टकट
शार्टकट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
sushil sarna
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
मैंने रात को जागकर देखा है
मैंने रात को जागकर देखा है
शेखर सिंह
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
Ravi Prakash
शस्त्र संधान
शस्त्र संधान
Ravi Shukla
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Harminder Kaur
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
कमीजें
कमीजें
Madhavi Srivastava
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
दवा की तलाश में रहा दुआ को छोड़कर,
Vishal babu (vishu)
"मुरीद"
Dr. Kishan tandon kranti
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
आज हमने सोचा
आज हमने सोचा
shabina. Naaz
मैं तुलसी तेरे आँगन की
मैं तुलसी तेरे आँगन की
Shashi kala vyas
Loading...