ग़ज़ल
ग़ज़ल
हम समर्पित हैं ज़माने के लिए
आदमीयतत को बचाने के लिए
आपके दिल में उतरना है हमें
भाव सेवा का जगाने के लिए
हम चले हैं प्यार का सागर लिए
आपसी रंजिश मिटाने के लिए
बह रही गंगा यहां सद् ज्ञान की
आप भी आएँ नहाने के लिए
ज्ञानियों के वचन ही साबुन यहां
मैल मन की हैं मिटाने के लिए
है जरूरी साफ रखना मन सदा
आचरण में चमक लाने के लिए
आइए संकल्प लें हम सब यहां
सत्य का दीपक जलाने के लिए
है निमंत्रण प्यार के इस गीत में
आपको भी गुनगुनाने के लिए
दे सकेगी झूँठ की दौलत कभी
चैन की रोटी न खाने के लिए
बेईमानी में अधिक है धन भले
किंतु वह धन है सताने के लिए
आइए ईमान वाले हम बनें
चैन की बंसी बजाने के लिए
अब नहीं है ठहर सकता गम यहाँ
आ गया अवधू हँसाने के लिए
अवधकिशोर’अवधू’
मो.न.9918854285