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3 Sep 2021 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

मिट्टी को मिट्टी न कहें तो ,क्या सोने की खान कहेंगे ?
जिसके दिल में प्यार नहीं है उसको क्या इंसान कहेंगे ?

बच्चे भूखों तड़प रहे हैं , हम मंदिर में दूध चढ़ाते,
बच्चे क्या भगवान नहीं, पत्थर ही को भगवान कहेंगे ?

दान वही जो दायाँ कर से दें तो बायाँ समझ न पाए,
फिर क्या कंबल देते फोटो खिंचवाने को दान कहेंगे ?

सुनता हूं कुछ चर्चित वोटर सबसे पहले बिक जाते हैं ,
फिर चलते हैं बटन दबाने ,क्या उसको मतदान कहेंगे ?

जो सज्जन केवल झाड़ू छूकर मीडिया में छा जाते हैं ,
उनसे पूछो क्या शोहरत पाने को ही श्रमदान कहेंगे ?

जिस घर में मुर्दों के जैसे , लोग निकम्मे रहते हों,
उस घर को श्मशान नहीं तो , क्या हम एक मकान कहेंगे ?

संविदा टीचर का वेतन अनपढ़ चपरासी से कम है ,
क्या भारत में पढ़वैये भी पाते हैं सम्मान कहेंगे ?

सांसद और विधायक पेंशन पाएंगे बाकी झंखेंगे,
तब क्या ऊपर वालों का सबके ऊपर है ध्यान कहेंगे ?

जिस बस्ती में हिंदू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई में अनबन है ,
दिल से पूछो उस बस्ती को क्या हम हिंदुस्तान कहेंगे ?

हे अवधू मीलों का अन्तर है जिसकी कथनी करनी में,
क्या हम उस लबरे को उसके डर से नेक,महान कहेंगे ?

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