ग़ज़ल
लाख अच्छा लगे किसी को आशमा
मगर ये तारे हमें अपनाते कहां है
ढुढती रह जाये उन्हें निगाहें हमारी
दुनिया से जाने वाले जाते कहां है
जज़्बातों से भरा है दिले इंसान
हर पल बहार भला आती कहां है
आंखें नम हो जाया करती है अक्सर
परेशान दिल समझते समझाते कहां है
मेहनत तो सभी करते हैं “नूरी”
खुदा सबको इनाम दिलवाते कहा है
नूरफातिमा खातून “नूरी”
१४/४/२०२०