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26 Dec 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

——–ग़ज़ल——

नाम मेरे वो जानो जिगर कर गया
और दामन को खुशियों सेभर कर गया

ज़िन्दगी भर न भूलूँ उसे दोस्तो
धड़कनों में मेरे यूँ उतर कर गया

तंज़ करता रहा ये जहां वो मगर
मेरी बाँहों में शामो सहर कर गया

वो जो आ जाए तो ग़म में भी दोस्तो
वक़्त सारा ख़ुशी में गुज़र कर गया

हर अदा है जुदा मेरे महबूब की
मेरी आँखों में देखा सँवर कर गया

जिस तरफ़़ देखता हूँ वो आए नज़र
इस तरह मेरे दिल में वो घर कर गया

खौफ़ तुझको न दोजख़ की होगी कभी
माँ की ख़िदमत यहाँ तू अगर कर गया

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)

1 Comment · 230 Views
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