ग़ज़ल
सुख दुख का मिश्रण यह संसार है।
मिलता मुशकिल से सच्चा प्यार है।
कर दे कुर्बान खुद को जो वतन पर;
ऐसा कोई ही होता दिलदार है।
मुँह से निवाला खींचे गरीब का ;
खुद की जेब भरे कैसी सरकार है।
गैरों से हमारा हाल जानता है;
कैसा अपना संगदिल यार है।
कभी सोचा न था अपने बारे में;
तन्हाई औ नयन में जलधार है।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !