ग़ज़ल 25
इक ख़ुदा पर रख भरोसा पल्लवी
दुख नहीं रहता हमेशा पल्लवी
मानती हूँ ज़िन्दगी नाराज़ है
छोड़ मत उसको मनाना पल्लवी
ये निज़ाम-ए-हक़ है तू यह जान ले
चाँद घट कर फिर बढ़ेगा पल्लवी
है अधूरी ज़िन्दगी ग़म के बिना
साँस है तो ग़म रहेगा पल्लवी
कब बुलावा आए किसका, क्या पता
एक रब का है सहारा पल्लवी
फ़ितरतन ये वक़्त बदलेगा ज़रूर
आएगा तेरा ज़माना पल्लवी
नेक रस्ते पर चलेगी तू अगर
तो मुक़द्दर खिल उठेगा पल्लवी