ग़ज़ल
ग़ज़ल
सुनहरा सवेरा बुलाता हमें है।
कि उजली किरण से मिलाता हमें है।
सुनाकर हमें धुन सदा प्यार की ही
वो जीने का लहज़ा सिखाता हमें है।
कहीं धूप थोड़ी कहीं छांव भी है
ये जीवन की रंगत दिखाता हमें है।
दुखों का नतीजा है लाता खुशी भी
वो खुशियों की मंज़िल बताता हमें है।
दिलों में खिलेगी कभी ज़िन्दगी भी
गुमां ये तसल्ली दिलाता हमें है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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