ग़ज़ल
++++++ग़ज़ल+++++++
दर्द सीने में दबाना सीखिए
ग़म को सहकर मुस्कुराना सीखिए
हाथ तो मिलते हैं लेकिन दोस्तों
दिल से दिल को भी मिलाना सीखिए
रब तुम्हें देगा बुलंदी एक दिन
गिरने वालों को उठाना सीखिए
दोस्ती से बढ़ के सुख कोई नहीं
दुश्मनी को भूल जाना सीखिए
गर झुकाना है तो बुत को छोड़कर
माँ को ही ये सिर झुकाना सीखिए
नफ़रतों की तीरग़ी मिट जाएगी
प्यार की शमअ जलाना सीखिए
तुम भी हँसना चाहते “प्रीतम”” अगर
दूसरो को भी हँसाना सीखिए
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)