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19 Feb 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

अधूरे ख्वाबों को क्यों पलकों पे संजोया जाए
आखिर क्यों उमर भर दर्द को ढोया जाए
बहुत रो लिया अहले दिल उनको याद करके
क्यों ना अब नींदभर सोया जाए
खो तो चुका है चैनो अमन दिल का
अब और बचा क्या है जिसे खोया जाए
वो जो चला गया है जिंदगी वीरान करके
क्यों उसकी याद में पलकों को भिगोया जाए

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