ग़ज़ल
अधूरे ख्वाबों को क्यों पलकों पे संजोया जाए
आखिर क्यों उमर भर दर्द को ढोया जाए
बहुत रो लिया अहले दिल उनको याद करके
क्यों ना अब नींदभर सोया जाए
खो तो चुका है चैनो अमन दिल का
अब और बचा क्या है जिसे खोया जाए
वो जो चला गया है जिंदगी वीरान करके
क्यों उसकी याद में पलकों को भिगोया जाए