“ग़ज़ल “
दो पल संजो कर रख लिये थे; तुम्हारी याद के।
आये तुम उनको उठा कर चले गये।।
वक़्त ने फाहा रखा था ज़ख़्म पे।
आये तुम बस खुरच कर चले गये।।
यूं तो बैठे महफ़िल में हम साथ थे।
गये तुम तो फ़ासले दिखा कर चले गये।।
न जाने किस वजह रुसवा हुये।
आये तुम सबको वजह बता कर चले गये।।
राजेश”ललित”शर्मा