Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

212 1222 212 1222

“भूल नहीं पाते हैं”

दर्द को छुपा जग से होंठ मुस्कुराते हैं।
बेवफ़ा सनम हमको नींद में सताते हैं।

याद जब करूँ लम्हे टूट कर बिखर जाती
कोसकर जवाँ मौसम अश्क छलक जाते हैं।

होश में रहूँ कैसे होश मैं गँवा बैठी
चैन ,अमन लूटा मेरा बात अब बनाते हैं।

दरमियां रहें न दूरी कोशिशें बहुत की थीं
बेखुदी जता अपनी फ़ासले बढ़ाते हैं।

चाहतें हमारी थीं साथ हम निभाएँगे
बाँह गैर की थामे आँख वो चुराते हैं?

उठ रही कसक दिल में छा रहा धुआँ सा है
हसरतें मिटा मेरी ख्वाब वो जलाते हैं

बेरहम सितमगर ने दिल मिरा दुखाया है
मानकर खुदा उनको भूल नहीं पाते हैं।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

1 Like · 208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बूथ तक जाना वोटर्स की ड्यूटी है। वोटर्स के पास जाना कैंडीडेट
बूथ तक जाना वोटर्स की ड्यूटी है। वोटर्स के पास जाना कैंडीडेट
*प्रणय*
मेरे हिस्से का प्यार भी तुझे ही मिले,
मेरे हिस्से का प्यार भी तुझे ही मिले,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इकांत बहुत प्यारी चीज़ है ये आपको उससे मिलती है जिससे सच में
इकांत बहुत प्यारी चीज़ है ये आपको उससे मिलती है जिससे सच में
पूर्वार्थ
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे परदा
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे परदा
gurudeenverma198
जाति-धर्म
जाति-धर्म
लक्ष्मी सिंह
*वर्षा आई ऑंधी आई (बाल कविता)*
*वर्षा आई ऑंधी आई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
नारी
नारी
Dr.Pratibha Prakash
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
Fight
Fight
AJAY AMITABH SUMAN
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आज फ़िर एक
आज फ़िर एक
हिमांशु Kulshrestha
एक वक्त था जब ज़माना अपना था और तुम अजनबी से, अब देखो ज़माना
एक वक्त था जब ज़माना अपना था और तुम अजनबी से, अब देखो ज़माना
कविता झा ‘गीत’
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
जीवन की संगत में शामिल जब होती अभिलाषाओं की डोर
जीवन की संगत में शामिल जब होती अभिलाषाओं की डोर
©️ दामिनी नारायण सिंह
तुझे नेकियों के मुँह से
तुझे नेकियों के मुँह से
Shweta Soni
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
Chitra Bisht
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
Chunnu Lal Gupta
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तज़्किरे
तज़्किरे
Kalamkash
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
Republic Day
Republic Day
Tushar Jagawat
!! वो बचपन !!
!! वो बचपन !!
Akash Yadav
2895.*पूर्णिका*
2895.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
Anamika Tiwari 'annpurna '
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
Loading...