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6 Jan 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
—-////—-
न बाज़ आएँ कभी दिल ——– मेरा जलाने से
ख़ुदा ही जाने वो क्या ——–पाते हैं सताने से

ये बात क्यों न समझता —-है ऐ सितमग़र तू
सुक़ूँन मिलता मुझे ——-तेरे मुस्कुराने से

चले भी आओ सनम अब तो चले आओ तुम
ये आ रही है सदा ———दिल के आस्ताने से

बताओ कैसे न ———महफ़िल में रंग आएगा
ये शेर लाया हूँ ग़ालिब ——के मैं घराने से

हक़ूक़ पाना है तो छीन ———लीजिए अपना
न पा सका है इसे ———-कोई गिड़गिड़ाने से

लगा दें जान अगर आज़ —मिल के हम “प्रीतम”
न रोक पाए कोई ——–मुल्क़ जगमगाने से

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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