ग़ज़ल
ग़ज़ल
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न बाज़ आएँ कभी दिल ——– मेरा जलाने से
ख़ुदा ही जाने वो क्या ——–पाते हैं सताने से
ये बात क्यों न समझता —-है ऐ सितमग़र तू
सुक़ूँन मिलता मुझे ——-तेरे मुस्कुराने से
चले भी आओ सनम अब तो चले आओ तुम
ये आ रही है सदा ———दिल के आस्ताने से
बताओ कैसे न ———महफ़िल में रंग आएगा
ये शेर लाया हूँ ग़ालिब ——के मैं घराने से
हक़ूक़ पाना है तो छीन ———लीजिए अपना
न पा सका है इसे ———-कोई गिड़गिड़ाने से
लगा दें जान अगर आज़ —मिल के हम “प्रीतम”
न रोक पाए कोई ——–मुल्क़ जगमगाने से
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)