ग़ज़ल
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गुल चमन में खिलखिला रहे हैं
फिर याद तेरी दिला रहे हैं।
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जो दिल हमारा हुआ करे थे
वो दिल हमारा जला रहे हैं।
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जो थे मिरा दर्द देख रोते
वो आज मुझको सता रहे हैं।
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जो रूबरू हमसफर बने थे
वो ख्वाब बन कर रिझा रहे हैं।
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जज्बात का यूं बहा समंदर
वो अश्क बन कर रुला रहे हैं।
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रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना