ग़ज़ल
—–ग़ज़ल—-
आप बुद्धू हमें ——मत बनाया करो
जो भी वादे करो —–तो निभाया करो
पीटिए मत””””–“” ढिंढोरा करेंगे ये हम
जो कहो उसको –करके दिखाया करो
भरते हैं पेट”””””””–जो देश का ऐ मियाँ
कुछ तरस उन -किसानों पे खाया करो
कितनी “”””””-“बेरोज़ग़ारी है इस देश में
फिक़्र कुछ नौजवानों —की लाया करो
माना ये””””–“””हुक़्मरां आप हैं देश के
पर न “प्रीतम” सितम हमपे ढाया करो
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)