ग़ज़ल
ग़ज़ल
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ज़िन्दग़ानी में मेरे साथ, दग़ा मत करना
दिल कभी मेरा दुखे ऐसी, ख़ता मत करना
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जो भी कहना है तुम्हें,दिल की कहो तो हमदम
रोज़े महशर मे कहीं,मुझसे ग़िला मत करना
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जो समझते ही नहीं, क्या हैं वफ़ा के माअनी
ऐसे लोंगों से तो ,उम्मीद-ए-वफ़ा मत करना
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मैं हूँ बीमारे मुहब्बत , है ये मेरी ख़्वाहिश
ज़हर दे देना मुझे, मेरी दवा मत करना
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जब ज़माने की नज़र तुम पे कभी टेड़ी हो
अपने महबूब से छुप छुप के मिला मत करना
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राहे हक़ से मैं भटक जाऊँ, जिसे पाकर के
मेहरबानी वो कभी, मेरे ख़ुदा मत करना
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चाहने वाला नसीबों से, मिला करता है
भूल कर भी मुझे तुम ,दिल से जुदा मत करना
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दिल के जज़्बात जो समझे है बड़ी मुश्क़िल से
ऐसे आशिक़ पे कोई, जान फ़िदा मत करना
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लाख दुनिया ये, बुराई पे उतर आये अब
जान कर “फ़ैज़ “किसी का भी बुरा मत करना
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Geetkaar Faiz Badayuni
Phone no-09958919395 (Delhi)