Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jan 2022 · 1 min read

ग़ज़ल- राना लिधौरी, टीकमगढ़

ग़ज़ल – दोस्त बनकर-

दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभाने वाला।
याद आया तु ही बस मुझको रुलाने वाला।।

दोस्त बनकर के जो ग़म तुमने दिए है हमको।
कोई पल देते मुझे हंसने हंसाने वाला।।

कभी भी कम नहीं होगी तिरी इल्मी दौलत।
तू अगर चाहे उसे जितना लुटाने वाला।।

जब तक रहेगा हाथ जो उसका मिरे सर पर।
नहीं हो सकता मुझे कोई मिटाने वाला।।

दंगा फसाद देखके खामोश है ‘राना’।
कहां पे देखों गया इंसान बनाने वाला।।
***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक-“आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-53 पेज-61 से साभार

473 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all
You may also like:
"बेल की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
SPK Sachin Lodhi
ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी को
Dr fauzia Naseem shad
राह मे मुसाफिर तो हजार मिलते है!
राह मे मुसाफिर तो हजार मिलते है!
Bodhisatva kastooriya
वो सितारे फ़लक पर सजाती रही।
वो सितारे फ़लक पर सजाती रही।
पंकज परिंदा
जब-जब निज माता को छोड़,
जब-जब निज माता को छोड़,
पंकज कुमार कर्ण
नयनों में नहीं सनम,
नयनों में नहीं सनम,
Radha Bablu mishra
प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं
प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रेम
प्रेम
Dr.Archannaa Mishraa
मेरी एक सहेली है
मेरी एक सहेली है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कभी कभी जिंदगी
कभी कभी जिंदगी
Mamta Rani
3205.*पूर्णिका*
3205.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"हासिल"
Dr. Kishan tandon kranti
पिता का यूं चले जाना,
पिता का यूं चले जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अखबार नहीं ।
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अखबार नहीं ।
Phool gufran
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू...!!
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू...!!
पूर्वार्थ
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
नूरफातिमा खातून नूरी
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
कुछ बातें पुरानी
कुछ बातें पुरानी
PRATIK JANGID
क्या हुआ की हम हार गए ।
क्या हुआ की हम हार गए ।
Ashwini sharma
यह लड़ाई है
यह लड़ाई है
Sonam Puneet Dubey
तुम तो साजन रात के,
तुम तो साजन रात के,
sushil sarna
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
डॉक्टर रागिनी
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
कल
कल "धनतेरस" पर घोर मंहगाई के बाद भी मैंने "सोने" की पांच चीज़
*प्रणय*
पथ सहज नहीं रणधीर
पथ सहज नहीं रणधीर
Shravan singh
** शैलपुत्री **
** शैलपुत्री **
surenderpal vaidya
पापा
पापा
Lovi Mishra
My luck is like sand
My luck is like sand
VINOD CHAUHAN
Loading...