ग़ज़ल रचनाएँ
बुरे हालात में सबंध अच्छा टूट जाता है,,,,,,
गरीबी में यहाँ लडकी का रिश्ता टूट जाता है ।।।।
नई इस कौम को देखो जरा समझा तरीके से,,,,,
बहुत सख्ताई से हर एक बच्चा टूट जाता है ।।।।।
बुलाओ अपनी महफ़िल में जरा अपने ही जैसो को,,,
कि इस झूूठे जहाँ में कोई सच्चा टूट जाता है ।।।।।
गुलो को तुम बहारो में सलीके से जरा तोड़ो,,,,,,
अनाड़ीपन से तो गुच्छे का गुच्छा टूट जाता है ।।।।
अगर हम गिर पड़े तो फिर शिकायत भी करे कैसे,,,
हमे मालूम है चलने से रस्ता टूट जाता है ।।।।।
जमाने के रिवाजो की ‘लकी’ तुमको खबर भी है,,,,,
अगर कमजोर हो रिश्ता तो पक्का टूट जाता है ।।।।
बहर १२२२. १२२२ १२२२ १२२२