ग़ज़ल : ………. मचल मत जाना !
_______ मचल मत जाना !
@ दिनेश एल० “जैहिंद”
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देख गुल कोई मचल मत जाना,
समझ रख संग बहल मत जाना ।
इश्क़ में….कुर्बां…..लैला मजनूँ,
सुन कहानी तू दहल मत जाना ।
राह में ढेरों हैं… फिसलन नादां,
देख सम्भल तू फिसल मत जाना ।
इल्म की सीमा में.. रह कर चल,
पार हद के तू निकल मत जाना ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
18. 09. 2017