ग़ज़ल पढ़ते हो
ग़ज़ल पढ़ते हो क्या बात है,
लगता प्रियसी आसपास है।
तुम भी गज़ब खुमारी में पड़े हो,
लगता है ली तुमने भी खुराक है।
अगर जज़्बात असली है,
तो फिर ठीक है वरना फिर तो,
बड़े बुरे हालात है।
दिल की इस्मत बची रहे,
ये दुआ है हमारी।
नहीं तो मैख़ाना सड़क के पास है।