ग़ज़ल- कोई बात बने (राना लिधौरी)
“ग़ज़ल- कोई बात बने”
आके दूरी मिटाओ तो कोई बात बने।
तुम मिरे पास जो आओ तो कोई बात बने।।
दिल के अंदर मिरे अरमान जो बाक़ी हैं अभी।
तुम उन्हें पूरा कराओं तो कोई बात बने।।
प्यार ने सीने के अंदर जो लगा रक्खी है।
वो आग दिल की बुझाओ तो कोई बात बने।।
मुस्कुराने ही से कुछ बात नहीं बनती है।
तुम अगर दिल में समाओं तो कोई बात बने।।
बिना मेहनत के मंज़िल नहीं मिलती ‘राना’।
क़दम को आगे बढ़ाओ तो कोई बात बने।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-41,पेज-49 से साभार