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12 Jun 2021 · 1 min read

ग़ज़ल : ( किसने सोचा था…. )

ग़ज़ल : ( किसने सोचा था…. )
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किसने सोचा था कि देश का ऐसा बुरा हाल होगा।
कोरोना से हर ज़िंदगी यहाॅं इतना बदहाल होगा ।।

यहाॅं से वापस जाने का यह नाम ही नहीं ले रहा ।
ये जो आया इस जमीं पर इसमें कोई चाल होगा।।

कितने सारे लोगों की अमन-चैन छीनी है इसने ।
कोई गर रास्ता बता दे तो बड़ा ही कमाल होगा ।।

दूसरी लहर ने तो सरकार की कमर ही तोड़ दी ।
तीसरी लहर जो आ गई तो बड़ा भूचाल होगा ।।

विनती कर रहा ‘अजित’ कोई भी हल्के में ना लें इसे।
पहिले से संभल के रहें सब तो फल बेमिसाल होगा ।।

_ स्वरचित एवं मौलिक ।

© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १२/०६/२०२१.
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