ग़ज़ल- कहां खो गये- राना लिधौरी
ग़ज़ल- कहां खो गये
तुम्हें देखकर फिदा हो गये।
तुम्हारे ख्यालों में ही खो गये।।
सरेआम छीना मेरा दिल तुम्हीं ने।
ये मिलते ही दो दिल जवां हो गये।।
अगर ग़ैर होता तो कोई ग़म नहीं।
जानकर अपने लूटे तो हम रो गये।।
थे धुंधले उजाले इशारा नहीं था।
चिराग़ां मोहब्बत के गुल हो गये।।
कैसी किस्मत थी उनको भी न पा सका।
उन्हें खो के ‘राना’ कहाँ खो गये।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक-“आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-70 पेज-78 से साभार