Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2017 · 1 min read

ग़ज़लें

बड़ी अजीब सी बातें जनाब करते हैं
नदी की धार में हैं पानियों से डरते हैं

हमें है खौफ़ बिजलियाँ जला न दें घर को
वगरना हम तो सावनी रुतों पे मरते हैं

चराग़ ढांप के दामन से अपने मत निकलो
हवाएं तेज़ हैं शाखों से बर्ग झरते हैं

तबाहियों का हाल उनसे पूछना बेहतर
जो बाद बाढ़ के बालू से घर उभरते हैं

ये ज़िदगी के ठूंठ, सिलवटों भरे चेहरे
किसी ख़याल से डरकर बहुत सिहरते हैं

उन्हें चमन की ख़ाक फिर कहाँ मयस्सर हो
जो फूल ग़ैर के दामन में रंग भरते हैं

महक लुटाने लगे नर्गिसी गु´चे शैली
तुम्हारी याद के मंज़र बहुत उभरते हैं

2

ये किसके घर से हो के आज हवा आई है
जो साथ नर्गिसी फूलों की महक लाई है

दरख़्त सेब के फेंके हैं नोच-नोच क़बा
सफ़र है दूर का सूरज से भी जुदाई है

हमारे शहर में सूरज उदास सा क्यों है
कहीं से उसने भी कोई तो चोट खाई है

हमारी जिंदगी हर मोड़ पर रुकी ठिठकी
तअल्लुकात के ख़ारों पे चलके आई है

मैं गुलिस्तां के ही धोके में यहाँ आई हूँँ
यहाँ भी ख़ार हैं तेरी अजब खुदाई है

मेरा वजूद नदी सा रवां-दवां फिर भी
कदम-कदम पे पत्थरों से चोट खाई है

202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ऐ मेरे हुस्न के सरकार जुदा मत होना
ऐ मेरे हुस्न के सरकार जुदा मत होना
प्रीतम श्रावस्तवी
स्वस्थ तन
स्वस्थ तन
Sandeep Pande
अब हम क्या करे.....
अब हम क्या करे.....
Umender kumar
■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक ब
■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक ब
*Author प्रणय प्रभात*
फितरत की बातें
फितरत की बातें
Mahendra Narayan
नर नारी
नर नारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
साथ
साथ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Kathputali bana sansar
Kathputali bana sansar
Sakshi Tripathi
"खुद के खिलाफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
जलपरी
जलपरी
लक्ष्मी सिंह
सत्संग
सत्संग
पूर्वार्थ
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
Keshav kishor Kumar
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
शांति युद्ध
शांति युद्ध
Dr.Priya Soni Khare
इस तरह छोड़कर भला कैसे जाओगे।
इस तरह छोड़कर भला कैसे जाओगे।
Surinder blackpen
23/105.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/105.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Yesterday ? Night
Yesterday ? Night
Otteri Selvakumar
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
प्यास बुझाने का यही एक जरिया था
प्यास बुझाने का यही एक जरिया था
Anil Mishra Prahari
जिंदगी है खाली गागर देख लो।
जिंदगी है खाली गागर देख लो।
सत्य कुमार प्रेमी
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
Sonu sugandh
रक्त को उबाल दो
रक्त को उबाल दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
गीत
गीत
दुष्यन्त 'बाबा'
तुझे पाने की तलाश में...!
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
💐प्रेम कौतुक-467💐
💐प्रेम कौतुक-467💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शायद वो खत तूने बिना पढ़े ही जलाया होगा।।
शायद वो खत तूने बिना पढ़े ही जलाया होगा।।
★ IPS KAMAL THAKUR ★
दो घूंट
दो घूंट
संजय कुमार संजू
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
Loading...