#ग़ज़ल मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।
ग़ज़ल मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।
2122 2122 2122
क्या कहूँ क्या मैं बताना चाहता हूँ ।
नाम मैं भी अब कमाना चाहता हूँ ।।
गीत मेरे ये जमाना गुनगुनाए,,
ख्वाब ऐसा ही सजाना चाहता हूँ ।।
नाम हो हर शख्स के होंठों पे मेरा,,
यूँ ग़ज़ल मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।।
मैं मिरी तस्वीर से जाना तो जाऊँ,,
शोहरत का मैं ख़ज़ाना चाहता हूँ ।।
रक्ख ली है दौलत बहुत मैंने घर में,,
ख़्वाहिशमंदों में लुटाना चाहता हूँ ।।
फेंक कर जादू मुहब्बत का यहाँ पर,,
एक दुनिया फिर बसाना चाहता हूँ ।।
खूब मैं गाऊँ ग़ज़ल महफिल जमाऊँ,,
शे’र का रुतबा दिखाना चाहता हूँ ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
11. 01. 2018