गवाह घाटी और वादियाँ
*** गवाह घाटी और वादियाँ ****
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क्या भू गर्भ से पैदा हुई हैं जातियाँ,
क्या ये गवाह हैं घाटी और वादियां।
एक जैसा खून का रंग ही लाल है,
फिर क्यों खून करते पकड़ लाठीयां।
रास आ जाते सफर में स्वभाव गर,
शुरू होने लगी अंतर्जातीय शादियां।
पुराना जमाना बीता नई अब रीत है,
हर कोई रानी है खत्म हुई दासियाँ।
कौन कब किसकी मानता मनसीरत,
हर तरफ नज़र आने लगी खामियाँ।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)