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4 May 2024 · 1 min read

गले लोकतंत्र के नंगे

राजनीति में पार्टी
एक समुच्चय है आदमी का
लोकतंत्र के नाम पर
निहित स्वार्थों में अटता बंटता हित समूह
विकसनशील समाज की
कानों से देखने वाले और आंखों से सुनने वाले समाज की
मूल कमजोर नस पकड़
उसके अनुरूप एक पार्टी
अपने जन्म से लेकर आज तक
नंगा होकर चल रही है,
चल रही है बेशर्म होकर नंगा
बाकी पार्टियां
उसकी नंगई तले तबाह हैं!
आदमी समुच्चय में, समूह में बंधते हुए भी
आजन्म रह जाए नंगा
उसके असभ्य होने से अधिक यह
लोकतंत्र के गले पड़ने और
लोकतंत्र से गले होने की निशानी है!

Language: Hindi
59 Views
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